रायपुर: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस शासन के दौरान रजिस्ट्री घोटाला उजागर हुआ है, जिसमें राज्य सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ। 2018 से 2023 तक लगातार रजिस्ट्रार और सब रजिस्ट्रार द्वारा जनता से मनमाना पैसा वसूला गया और यह सिलसिला आज भी जारी है। रजिस्ट्री में दलालों और दस्तावेज लेखकों के माध्यम से भारी भ्रष्टाचार हुआ, और बड़े बिल्डरों के साथ मिलीभगत कर सरकारी राजस्व की चपत लगाई गई।
भ्रष्ट अधिकारियों और नेताओं का गठजोड़
कांग्रेस के नेताओं और अधिकारियों के बीच सांठ-गांठ के कारण बड़े-बड़े बिल्डरों ने आवासीय योजनाओं की रजिस्ट्री को कम दर पर कराया, जबकि बाजार रेट और कलेक्टर गाइडलाइन से भी कम मूल्य पर रजिस्ट्री हुई। उदाहरण के तौर पर, आमासिवनी, मोवा, कचना, अमलीडीह, शंकर नगर और महावीर नगर जैसे इलाकों में बिल्डरों और नेताओं ने भ्रष्ट तरीके से रजिस्ट्री की दरें निर्धारित कीं, जिससे सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।
आवासीय योजनाओं में धोखाधड़ी
अधिकांश मामलों में, मुख्य मार्गों और चर्चित महंगी कॉलोनियों की रेट में जमीन-आसमान का अंतर था। कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार, रेट को 3 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर से ज्यादा होना चाहिए था, लेकिन बड़े बिल्डरों के फायदें के लिए दरें घटा दी गईं। इससे न केवल सरकारी राजस्व में कमी आई, बल्कि टैक्स चोरी और काले धन के खेल को भी बढ़ावा मिला।
भ्रष्टाचार और सजा की आवश्यकता
कांग्रेस शासन के दौरान यह घोटाला इतना बड़ा हुआ कि इसमें तत्कालीन मंत्री, विधायक और मुख्यमंत्री तक शामिल थे। अब इस मामले का खुलासा किया जाएगा, और कैसे जनता के पैसों की लूट हुई, इसका पूरा विवरण सामने लाया जाएगा। इस फर्जीवाड़े के चलते इनकम टैक्स विभाग को भी टैक्स चोरी की जांच करने का मौका मिलेगा, क्योंकि अनुमान है कि करोड़ों रुपये का टैक्स चोरी हुआ है।
यह मामला न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे देश के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि भ्रष्टाचार और धन की लूट से न केवल सरकारी खजाने को नुकसान हुआ, बल्कि आम जनता का भी भारी शोषण हुआ। अब समय आ गया है कि इस घोटाले का पर्दाफाश किया जाए और जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।