मुंगेली में सहकारिता विभाग की मनमानी, बिना रिकॉर्ड वाले कर्मचारियों की धान खरीदी प्रभारी के रूप में नियुक्ति
मुंगेली:- सहकारिता विभाग, मुंगेली में एक बार फिर मनमानी का मामला सामने आया है। पंजीयक के नाम पर जारी एक आदेश में धान खरीदी उपकेंद्र कोदवा महंत में एक ऐसे कर्मचारी की नियुक्ति धान खरीदी प्रभारी के रूप में कर दी गई है, जिसका नाम विभाग के रिकॉर्ड में कहीं दर्ज नहीं है। यह कर्मचारी न तो विभाग में कभी स्थायी तौर पर कार्यरत रहा है और न ही उसका कोई नियुक्ति आदेश है।
इसी तरह, डोंगरिया में भी एक अस्थायी कर्मचारी को धान खरीदी प्रभारी बना दिया गया है, जबकि न तो उसे धान खरीदी का कोई अनुभव है, न ही उसने कभी इस कार्य में भाग लिया है। चौंकाने वाली बात यह है कि महज एक हफ्ते में तीन आदेश जारी किए गए हैं, जिनमें अलग-अलग कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है। इससे यह आशंका जताई जा रही है कि इन नियुक्तियों के कारण धान खरीदी प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।
विभाग द्वारा निकाले गए संशोधित आदेश पर सवाल
सूत्रों के अनुसार, आदिमजाति सेवा सहकारी समिति डोंगरिया और उपकेंद्र कोदवा महंत में पंजीयक ने संशोधित आदेश जारी किए हैं। इन आदेशों में अपने ही पिछले आदेश को पलटते हुए, कोदवा महंत के लिए भानुप्रताप डड़सेना को धान खरीदी प्रभारी बना दिया गया है। हालांकि, विभाग के रिकॉर्ड में उनका नाम कभी भी पंजीकृत कर्मचारी के तौर पर नहीं था। कुछ दिन पहले ही, मुंगेली जिले के लिए 108 कर्मचारियों की नियुक्ति आदेश जारी किया गया था, जिसमें कोदवा महंत के लिए रूपेश जायसवाल को प्रभारी और दीपक डड़सेना को कम्प्यूटर ऑपरेटर नियुक्त किया गया था। अब, बिना किसी स्पष्ट कारण के, भानुप्रताप डड़सेना को प्रभारी बना दिया गया है।
डोंगरिया में अस्थायी कर्मचारी को प्रभारी बना दिया गया
इसी तरह, डोंगरिया के लिए भी एक नया आदेश जारी किया गया, जिसमें अस्थायी कर्मचारी युवराज जायसवाल को धान खरीदी प्रभारी बना दिया गया है। युवराज जायसवाल का न तो धान खरीदी में कोई अनुभव है, और न ही उन्होंने कभी इस काम को किया है। पहले, प्रदीप जायसवाल को प्रभारी और युवराज जायसवाल को बारदाना प्रभारी नियुक्त किया गया था, लेकिन अब इसे बदलकर फिर से युवराज को प्रभारी बना दिया गया है।
तेजी से बदलाव के पीछे की वजह पर सवाल
इन त्वरित बदलावों के कारण कई सवाल उठ रहे हैं। सिर्फ तीन दिन के भीतर इस तरह के आदेशों का क्या कारण था, यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। क्या यह एक नई योजना के तहत किया गया बदलाव है या फिर कोई प्रशासनिक गलती?
ध्यान आकर्षित करने वाली बात
यह मामला पूरे प्रदेश में शायद पहला ऐसा मामला है, जहां एक कर्मचारी, जिसका नाम विभाग के रिकॉर्ड में नहीं है, उसे धान खरीदी प्रभारी बना दिया गया है। यह स्थिति विभागीय प्रक्रियाओं और नियुक्तियों में गंभीर अनियमितताओं को उजागर करती है।
किसानों में चिंता, क्या धान खरीदी होगी प्रभावित?
धान खरीदी केंद्रों में कार्यरत कर्मचारियों का अनुभव न होने के कारण 2200 किसानों की पंजीकृत समितियों, डोंगरिया और कोदवा महंत में धान खरीदी की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। यदि ऐसे कर्मचारियों को प्रभारी बना दिया जाता है, तो किसानों को समय पर और सही तरीके से सेवा मिलना मुश्किल हो सकता है।
इस मामले में मुंगेली पंजीयक हितेश श्रीवास से जब फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने फोन का जवाब नहीं दिया।