Tue. Apr 29th, 2025

भारतीय किसान संघ ने सरगुजा सांसद को सौंपा ज्ञापन, कहा- जीएम फसलें शरीर के लिए हानिप्रद हैं…..!

भारतीय किसान संघ ने सरगुजा सांसद को सौंपा ज्ञापन, जीएम फसलों को लेकर उठाई गंभीर चिंता, सरकार से की तत्काल रोक की मांग

अंबिकापुर:- भारतीय किसान संघ इन दिनों जन जागरूकता अभियान चला रहा है, जिसमें वह जीएम (जेनेटिक माडिफाइड) फसलों के संभावित नुकसान को लेकर किसानों को सजग कर रहा है और सरकार के समक्ष इस मुद्दे का विरोध जता रहा है। इस अभियान के तहत, सोमवार को भारतीय किसान संघ की जिला इकाई ने सरगुजा के सांसद चिंतामणि महाराज को एक ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन के माध्यम से संघ ने सरकार से मांग की है कि जीएम फसलों पर रोक लगाई जाए, क्योंकि उनका मानना है कि ये फसलें मानव शरीर के लिए अत्यंत हानिकारक हो सकती हैं।

ज्ञापन में संघ के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य किशोर सिंह बघेल ने जीएम (जेनेटिकली माडिफाइड) सरसों के उत्पादन को लेकर गहरी चिंता जताई। उन्होंने बताया कि जीएम सरसों की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाए गए हैं और सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने निर्णय में इस पर संदेह व्यक्त किया है। उन्होंने यह भी बताया कि देश में जीएम फसलों की शुरुआत बीटी कपास से हुई थी, जिसे वर्ष 2002 में किसानों के बीच धीरे-धीरे और बिना उचित चर्चा के लाया गया था। कपास में बैक्टीरिया के दो जीन डालकर इसे कीटों से बचाने की दावा किया गया था, लेकिन यह दावा पूरी तरह से गलत साबित हुआ था, क्योंकि इसके परिणाम उलटे आए।

किशोर सिंह बघेल ने यह भी कहा कि देश में कई अन्य फसलों में भी जीव जंतुओं के जीन को डालकर नया जीव बनाने की प्रक्रिया चल रही है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या इसे एक फसल के रूप में माना जा सकता है या जीव के रूप में। उन्होंने यह भी सवाल किया कि यदि खाद्यान्न फसलों में जीव जंतुओं का जीन डाला जाता है तो क्या उन्हें शाकाहारी कहा जाएगा या मांसाहारी?

संघ ने कहा कि बीटी बैगन से लेकर जीएम सरसों तक बिना किसी गंभीर चर्चा, वैज्ञानिक परीक्षण और निगरानी के भारत में इन फसलों को लाने की कोशिशें जारी हैं। यह न केवल किसानों के लिए, बल्कि पूरे देश के पर्यावरण और कृषि संस्कृति के लिए भी खतरे की घंटी है। इसके अलावा, लगभग 20 वर्षों के अध्ययन के बाद, हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस मामले की सुनवाई करते हुए माना कि जीएम फसलों के लिए किए गए परीक्षण पूरी तरह से विदेशों में हुए हैं, जिनका भारतीय भौगोलिक और पर्यावरणीय परिस्थितियों से कोई मेल नहीं है।

सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को निर्देश दिया था कि वह चार माह के भीतर इस मामले में एक समिति गठित करे, जो जीएम फसलों पर और उनके संभावित प्रभावों पर विचार करेगी। हालांकि, अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इसके बाद, कई अनुसंधान केंद्रों ने यह पुष्टि की है कि जीएम फसलें भारत की भौगोलिक संरचना, जलवायु और कृषि पद्धतियों के लिए पूरी तरह से असंगत और हानिकारक हो सकती हैं। इसलिए भारतीय किसान संघ ने यह आग्रह किया कि सरकार को इन फसलों के प्रयोग पर तत्काल रोक लगा दे।

इस ज्ञापन के साथ-साथ भारतीय किसान संघ ने एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन की शुरुआत करने का निर्णय लिया है, जिसके तहत वे देशभर में सांसदों और मंत्रियों को ज्ञापन देंगे। संघ ने सरगुजा सांसद से भी यह अनुरोध किया कि वे इस मामले को केंद्र सरकार के सामने उठाकर जीएम बीजों के उपयोग पर रोक लगाने की पहल करें। भारतीय किसान संघ ने यह चेतावनी दी है कि यदि सरकार इस मुद्दे पर समय रहते कोई निर्णय नहीं लेती है, तो संघ को आंदोलन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

ज्ञापन सौंपने के दौरान भारतीय किसान संघ के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य किशोर सिंह बघेल के साथ-साथ दरिमा तहसील अध्यक्ष सोमवार दास, लुंड्रा ब्लाक अध्यक्ष अनिता जायसवाल, अंबिकापुर ब्लाक अध्यक्ष बबलू नामदेव, धीरज शर्मा और बुधराम दास भी उपस्थित थे।

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *