Bijapur Breaking: बीजापुर के बहुचर्चित अंधे कत्ल की गुत्थी आखिरकार सुलझ गई है। एक ही परिवार के तीन लोगों ने शादी न करने के खौफनाक बदले की कीमत चुकाई। यह हत्या 10 अगस्त को 30 वर्षीय युवती सरस्वती कड़ियामि की ग्राम कन्हाईगुड़ा के जंगलों में की गई थी, जिसके बाद से बीजापुर पुलिस इस मामले की तहकीकात कर रही थी।
करीब 40 दिनों से पुलिस ने लगातार जांच की, जिसमें कई तथ्यों और गवाहों के बयान एकत्रित किए गए। अंततः पुलिस ने मंगलसाय माँझी, नदू माँझी, और सुखनाथ माँझी नामक तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। इन आरोपियों पर आरोप है कि उन्होंने व्यक्तिगत रंजिश के चलते सरस्वती की हत्या की, क्योंकि युवती ने परिवार के सदस्यों की इच्छाओं के खिलाफ जाकर शादी नहीं की थी।
गिरफ्तारी के बाद, पुलिस ने मामले को पंजीबद्ध कर आरोपियों को जेल भेज दिया। इस घटना ने बीजापुर में गहरी चिंता और आक्रोश का माहौल बना दिया था। बीजापुर विधायक विक्रम शाह मंडावी ने इस मामले पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसमें उन्होंने स्थानीय प्रशासन और पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए।
इसी बीच, सर्वआदिवासी समाज ने एक बड़ी रैली का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने पुलिस और शासन-प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए। समाज के सदस्यों ने न्याय की मांग करते हुए कहा कि इस तरह के कृत्य से पूरे समुदाय को शर्मिंदगी महसूस होती है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
बीजापुर एसपी जितेन्द्र यादव ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक विशेष जांच टीम बनाई। इस टीम में दो डीएसपी, तीन सब इंस्पेक्टर और कई अन्य पुलिसकर्मी शामिल थे। उन्होंने कहा कि उनके विभाग ने पूरी पारदर्शिता के साथ मामले की जांच की है और दोषियों को सजा दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।
इस हत्याकांड ने बीजापुर की शांति और सुरक्षा को चुनौती दी है, और अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या न्याय मिलेगा और स्थानीय समुदाय कैसे इस संकट से उबर पाएगा। पुलिस की सक्रियता और स्थानीय नेताओं की कोशिशों से उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इस मामले में और भी सबूत सामने आएंगे।