Wed. Apr 30th, 2025

“छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में अरुणपति त्रिपाठी के खिलाफ CBI जांच, राज्य सरकार ने दी अनुमति”…..!

छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में आरोपित अफसर अरुणपति त्रिपाठी के खिलाफ सीबीआई जांच को राज्य सरकार ने दी मंजूरी, ईडी और एसीबी की भी चल रही हैं जांच

रायपुर:- छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले से जुड़े एक बड़े भ्रष्टाचार मामले में भारतीय दूरसंचार सेवा (आईटीएस) के अफसर अरुणपति त्रिपाठी के खिलाफ अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा जांच की जाएगी। राज्य सरकार ने त्रिपाठी के खिलाफ सीबीआई जांच की स्वीकृति दे दी है, जिससे मामले में एक नया मोड़ आ गया है। त्रिपाठी, जो आबकारी विभाग में विशेष सचिव के रूप में कार्यरत थे, पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया और राज्य के शराब कारोबार में अनियमितताओं को बढ़ावा दिया।

कौन हैं अरुणपति त्रिपाठी?

अरुणपति त्रिपाठी भारतीय दूरसंचार सेवा (आईटीएस) के अधिकारी हैं और छत्तीसगढ़ में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत थे। उनके खिलाफ आरोप हैं कि वे आबकारी विभाग में विशेष सचिव रहते हुए शराब कारोबार से जुड़ी वित्तीय अनियमितताएं और भ्रष्टाचार करने में शामिल थे। त्रिपाठी के खिलाफ पहले से ही प्रवर्तन निदेशालय (ED) और छत्तीसगढ़ राज्य की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) द्वारा जांच चल रही थी। अब सीबीआई की जांच से मामले की गंभीरता और बढ़ गई है।

झारखंड में भी है घोटाले का आरोप

अभी हाल ही में यह भी सामने आया था कि त्रिपाठी पर झारखंड में भी शराब घोटाले का आरोप है, जिससे यह मामला और भी जटिल हो गया है। त्रिपाठी की संलिप्तता के आरोपों में यह नया मोड़ सामने आने के बाद केंद्रीय जांच एजेंसियां और राज्य की जांच एजेंसियां अब मामले की गहराई से जांच कर रही हैं।

EOW द्वारा पेश किया गया तीसरा पूरक चालान

इस बीच, छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की जांच कर रही आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने कोर्ट में तीसरा पूरक चालान पेश किया है। इस चालान में शराब घोटाले के तीन मुख्य आरोपियों – अनिल टुटेजा, सुनील दत्त और विकास अग्रवाल के खिलाफ आरोप तय किए गए हैं। चालान में लगभग 2,000 से अधिक पन्नों का दस्तावेज शामिल है, जिसे EOW ने एसीबी/EOW की विशेष अदालत में प्रस्तुत किया।

विकास अग्रवाल पर विशेष ध्यान

इस चालान में खासतौर से विकास अग्रवाल उर्फ शिबू का नाम प्रमुखता से लिया गया है। अग्रवाल को इस घोटाले का मास्टरमाइंड अनवर ढेबर का करीबी सहयोगी और दाहिना हाथ माना जाता है। अब तक की जांच से यह स्पष्ट हो चुका है कि विकास अग्रवाल और उसका परिवार फरार हैं, और उनकी तलाश जारी है। जानकारी के मुताबिक, अग्रवाल का नाम सामने आने से इस मामले में और भी कई अहम खुलासे हो सकते हैं, और जांच एजेंसियां अब तक जुटाए गए सबूतों के आधार पर इस घोटाले के प्रमुख कर्ताधर्ताओं की गिरफ्तारी के लिए सक्रिय हो गई हैं।

आगे की संभावनाएं और जांच का दायरा

सीबीआई और EOW की जांच अब राज्य के सबसे बड़े शराब घोटाले की तह तक जाने की तैयारी कर रही हैं। सरकार ने इस मामले में जांच को लेकर अपनी गंभीरता दिखाई है और उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में और भी बड़े नाम इस घोटाले से जुड़े हो सकते हैं। CBI द्वारा त्रिपाठी के खिलाफ जांच की मंजूरी मिलने से यह मामला न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि देशभर में चर्चा का विषय बन चुका है। अब यह देखना होगा कि सीबीआई की जांच त्रिपाठी और अन्य आरोपियों के खिलाफ किस तरह की कार्रवाई करती है, और क्या यह घोटाला और आरोपितों के खिलाफ खुलासे और गवाहों की साक्ष्य के आधार पर किसी निष्कर्ष पर पहुंचता है।

निष्कर्ष

इस पूरे मामले में एक बात साफ है कि छत्तीसगढ़ शराब घोटाले ने राज्य के प्रशासनिक ढांचे और व्यवस्था में एक गंभीर प्रश्न उठाया है। जांच एजेंसियों के सक्रिय होने से मामले में पारदर्शिता लाने की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि, यह मामला काफी पेचीदा है, और इसके बड़े पर्दे पर और भी कई राज खुल सकते हैं। राज्य सरकार और केंद्र सरकार की साझा कोशिशों से यह अपेक्षा की जा रही है कि मामले की जल्द से जल्द निष्पक्ष और व्यापक जांच की जाएगी, ताकि इस घोटाले के असली कर्ताधर्ताओं को दंडित किया जा सके।

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