छत्तीसगढ़: सरकारी स्कूलों में पहली बार प्री-बोर्ड परीक्षा का आयोजन, तैयारियां तेज
छत्तीसगढ़ में दसवीं और बारहवीं के छात्रों के लिए इस वर्ष से प्री-बोर्ड परीक्षा को अनिवार्य किया गया है। शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (डीईओ) को 10 जनवरी तक कक्षा दसवीं और बारहवीं का पूरा सिलेबस समाप्त करने के निर्देश दिए हैं। यह कदम छात्रों को वार्षिक परीक्षा के लिए बेहतर ढंग से तैयार करने और परीक्षा परिणाम सुधारने के उद्देश्य से उठाया गया है।
सरकारी स्कूलों में पहली बार प्री-बोर्ड की पहल
पहले यह व्यवस्था केवल निजी स्कूलों में देखने को मिलती थी, जहां परीक्षा परिणाम बेहतर करने के लिए कई कदम उठाए जाते थे। अब सरकारी स्कूलों में भी प्री-बोर्ड परीक्षा आयोजित कर सरकारी और निजी स्कूलों के बीच शैक्षणिक अंतर को पाटने की कोशिश हो रही है। जनवरी के तीसरे सप्ताह में होने वाली इस परीक्षा के लिए सभी हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों में सिलेबस पूरा करने का निर्देश दिया गया है।
शिक्षा विभाग ने प्री-बोर्ड परीक्षा की गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए विषयवार समितियों का गठन करने और ब्लू प्रिंट के आधार पर प्रश्न पत्र तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह परीक्षा छात्रों के शैक्षणिक प्रदर्शन को बेहतर बनाने और शिक्षकों की जवाबदेही बढ़ाने का प्रयास है।
शिक्षकों और स्कूलों पर बढ़ा दबाव
दिवाली और दशहरा की छुट्टियों के बाद स्कूलों में पढ़ाई की रफ्तार तेज हुई है, लेकिन कई स्कूलों में अब भी कोर्स अधूरा है। अतिथि शिक्षकों की हालिया भर्ती के बाद पढ़ाई की स्थिति में सुधार की उम्मीद है। फिलहाल, हिंदी माध्यम के सरकारी स्कूलों में 118 अतिथि शिक्षक नियुक्त किए गए हैं, लेकिन कई स्कूलों में शिक्षकों की अन्य गतिविधियों में व्यस्तता और बीएलओ के कार्यों में ड्यूटी लगाने से पढ़ाई बाधित हो रही है।
शिक्षकों की अनुपस्थिति और निजी अवकाश का भी असर छात्रों की पढ़ाई पर पड़ा है। ऐसे में शिक्षकों पर कोर्स पूरा करने का दबाव बढ़ गया है। शिक्षा विभाग ने स्कूलों में औचक निरीक्षण शुरू कर दिया है और बिना सूचना के अनुपस्थित शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किए जा रहे हैं।
स्वामी आत्मानंद स्कूलों में शिक्षकों की कमी
स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में शिक्षकों की कमी भी छात्रों की पढ़ाई पर प्रभाव डाल रही है। जिले में 15 स्वामी आत्मानंद स्कूलों में 121 शिक्षकों के पद खाली हैं। आधे सत्र के बाद अब जाकर भर्ती की प्रक्रिया शुरू हुई है, लेकिन अभी भी हिंदी माध्यम के आत्मानंद स्कूलों में 20 शिक्षकों की कमी बनी हुई है।
पसान क्षेत्र के आत्मानंद स्कूल में शिक्षकों की अनुपस्थिति को लेकर बच्चों ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिससे अभिभावकों की चिंता और बढ़ गई। प्रशासन ने शिक्षक व्यवस्था का आश्वासन दिया है, लेकिन समय रहते इस समस्या का समाधान न होने पर छात्रों की पढ़ाई और परीक्षा परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।
सरकार का प्रयास: शिक्षा में सुधार
सरकार ने प्री-बोर्ड परीक्षा को अनिवार्य कर यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि सरकारी स्कूलों के छात्र भी निजी स्कूलों के छात्रों की तरह प्रतियोगी परीक्षाओं और वार्षिक परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन कर सकें। शिक्षकों और प्रशासन को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे समय पर सिलेबस पूरा करें और छात्रों को पर्याप्त अभ्यास कराएं।
परीक्षा परिणामों में सुधार के लिए उठाया गया यह कदम छात्रों और शिक्षकों के लिए समान रूप से चुनौतीपूर्ण है। समय पर सिलेबस पूरा करना, प्री-बोर्ड के लिए तैयार होना, और शैक्षणिक गुणवत्ता सुनिश्चित करना शिक्षा विभाग के लिए प्राथमिकता बनी हुई है। अब यह देखना होगा कि इस नई पहल से सरकारी स्कूलों के परीक्षा परिणामों में कितना सुधार होता है।