भोपाल: इन दिनों भोपाल में रेलवे यूनियन के चुनाव हो रहे हैं, और इन चुनावों के प्रचार-प्रसार में यूनियन प्रतिनिधि किसी भी नियम का पालन नहीं कर रहे हैं। स्वच्छ भारत मिशन के तहत रेलवे ने करोड़ों रुपये खर्च किए थे, साथ ही यात्रियों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए कई अभियान चलाए थे, लेकिन अब वही कर्मचारी उसी मिशन की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं।
भोपाल रेलवे स्टेशन के गेट से लेकर प्लेटफार्म नंबर 1 की दीवारों तक, हर जगह यूनियन के प्रचार पोस्टर चिपकाए गए हैं। रेलवे अधिकारियों द्वारा स्टेशन के मॉडल के तौर पर पेश की गई नई बिल्डिंग में भी पोस्टर लगाकर कर्मचारियों ने इसे पूरी तरह गंदा कर दिया है। न केवल स्टेशन भवन, बल्कि वेटिंग रूम, टिकट काउंटर, और स्टेशन के अन्य हिस्सों में भी प्रचार सामग्री फैला दी गई है।
इसके अलावा, रेलवे के विभिन्न शासकीय स्थानों जैसे डीआरएम कार्यालय, संत हिरदाराम नगर, निशातपुरा, रेलवे कॉलोनी, रेलवे अस्पताल, कोच फैक्ट्री और रेलवे इंस्टीट्यूट में भी इन पोस्टरों का अंबार लग चुका है। हालांकि, रानी कमलापति स्टेशन का संचालन निजी कंपनी के हाथों में होने के कारण वहां इस तरह का प्रचार नहीं किया गया है।
अब सवाल यह उठता है कि ये सभी पोस्टर किसके खर्च पर हटाए जाएंगे? क्या यूनियन प्रतिनिधि अपनी जिम्मेदारी पर इन्हें हटवाएंगे या रेलवे प्रबंधन को इस पर खर्च करना पड़ेगा? कुछ यूनियन नेताओं का कहना है कि सफाई का काम रेलवे के ठेकेदारों से कराया जाएगा। लेकिन इस बीच, रेलवे प्रबंधन न तो इस मामले पर कोई कार्रवाई कर रहा है, न ही इस पर कोई बयान देने को तैयार है।
यह पूरे मामले ने रेलवे के स्वच्छता मिशन की साख को सवालों के घेरे में डाल दिया है, और अब यह देखना होगा कि इस पर क्या कार्रवाई होती है।