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छत्तीसगढ़ में किसानों के साथ हो रहा अन्याय, असलम मिर्जा ने कहा…!

छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ में किसानों के साथ हो रहे अन्याय का मामला अब राज्य की राजनीति में प्रमुख चर्चा का विषय बन चुका है। पिछले साल, राज्य की भाजपा सरकार ने किसानों से धान की खरीदी पर 3100 रुपये प्रति क्विंटल का वादा किया था, लेकिन वास्तविकता यह है कि सरकार किसानों से धान महज 2300 रुपये में खरीद रही है। यह न केवल किसानों के साथ आर्थिक शोषण है, बल्कि उनके आत्मसम्मान और अधिकारों पर गहरी चोट भी है।

3100 रुपये का वादा और हकीकत

छत्तीसगढ़ की भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) सरकार ने पिछले वर्ष किसानों से धान की खरीदी पर 3100 रुपये प्रति क्विंटल देने का वादा किया था। किसानों ने इस वादे को विश्वास के साथ स्वीकार किया और अपनी मेहनत से फसल उगाई। लेकिन जब धान की खरीदी का समय आया, तो सरकार ने अपना वादा तोड़ा और किसानों से 2300 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर धान खरीदी शुरू कर दी। यह सरकार का धोखा और किसानों के साथ विश्वासघात है।

किसानों की समस्याएं

  1. उत्पादन लागत में वृद्धि: पिछले कुछ वर्षों में खाद, बीज, डीजल, पानी और अन्य उत्पादन लागत में भारी वृद्धि हुई है। ऐसे में 2300 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत पर धान बेचना किसानों को घाटे में डाल रहा है।
  2. आर्थिक तंगी: वादे के मुताबिक उचित समर्थन मूल्य न मिलने के कारण, किसानों के लिए अपने कर्ज का भुगतान करना मुश्किल हो गया है। कई किसान अब कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं, और उनका जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
  3. भविष्य पर संकट: जब सरकार अपने वादों को पूरा नहीं करती, तो किसानों का उस पर से विश्वास उठने लगता है। यह डर है कि भविष्य में वे खेती नहीं करेंगे, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी मेहनत का उचित मूल्य नहीं मिलेगा।

सरकार की नाकामी

भा.ज.पा. सरकार ने सत्ता में आते ही किसानों के कल्याण के लिए कई योजनाओं का ऐलान किया था, लेकिन जमीनी स्तर पर इन योजनाओं का कोई असर नहीं दिखाई दे रहा है। किसानों के साथ किया गया वादा, जिस पर उन्होंने अपनी उम्मीदें टिकी थीं, केवल छलावा साबित हुआ। सरकार को यह समझना चाहिए कि किसानों की मेहनत ही देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।

किसानों के विरोध का स्वर

सरकार की इस नीति के खिलाफ किसानों का गुस्सा उबाल पर है। कई किसान संगठनों ने सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। छत्तीसगढ़ के ग्राम डोमा, अभनपुर के युवा किसान असलम मिर्जा ने भाजपा सरकार के खिलाफ खुलकर बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि “हमारे हक की लूट नहीं सहे जाएगी। यह सरकार हमें और हमारे परिवारों को कर्ज में डुबोने की कोशिश कर रही है। अब हम अपनी आवाज उठाएंगे और सरकार को इसका जवाब देना होगा।”

असलम मिर्जा का यह बयान सरकार के लिए एक चेतावनी है कि अगर वे किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं करते, तो इसका राजनीतिक और सामाजिक असर आने वाले चुनावों में दिखाई देगा।

न्याय की मांग

किसानों के हितों की रक्षा के लिए यह जरूरी है कि सरकार:

  1. 3100 रुपये प्रति क्विंटल के वादे के अनुरूप धान खरीदी करे।
  2. किसानों को उनके उत्पादन लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य दे।
  3. वादाखिलाफी के लिए जिम्मेदार नेताओं को जवाबदेह बनाए।

सरकार को यह समझना होगा कि किसानों के शोषण को बंद करना ही उनके सामाजिक और नैतिक दायित्व का हिस्सा है। अगर भाजपा सरकार ने जल्द ही कदम नहीं उठाए और किसानों के साथ न्याय नहीं किया, तो उन्हें आने वाले चुनावों में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ में किसानों के साथ हो रहा यह अन्याय केवल राज्य तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश के किसानों के लिए एक गंभीर चेतावनी है। सरकारों को किसानों के साथ कोई भी अन्याय करने का अधिकार नहीं है। किसानों का संघर्ष यह साबित करता है कि वे अपने अधिकारों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएंगे। भाजपा सरकार को चाहिए कि वह तुरंत कदम उठाए और किसानों को उनका हक दिलाए।

By maarmik

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