Noida Kisan Mahapanchayat: ग्रेटर नोएडा में किसानों का जमावड़ा, राकेश टिकैत को पुलिस ने रोका, आंदोलन तेज
ग्रेटर नोएडा के जीरो प्वाइंट पर किसान महापंचायत में बड़ी संख्या में किसानों का जुटान हो रहा है। किसान आबादी निस्तारण, लीजबैक प्रकरण, 10 प्रतिशत विकसित भूखंड और 64.7 प्रतिशत मुआवजे की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस महापंचायत में शामिल होने जा रहे भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत को पुलिस ने टप्पल के पास रोक लिया, जिससे किसानों में आक्रोश बढ़ गया है।
प्रदर्शनकारियों की बढ़ती संख्या
नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण से प्रभावित क्षेत्रों के किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली के जरिए महापंचायत स्थल पर पहुंच रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत विभिन्न जिलों के किसान बड़ी संख्या में इस आंदोलन में हिस्सा ले रहे हैं।
दिल्ली कूच का एलान संभव
BKU नेताओं का कहना है कि महापंचायत के बाद वे दिल्ली कूच की घोषणा कर सकते हैं। संभावित प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस ने शहर के प्रमुख चौराहों और गोल चक्करों पर यातायात व्यवस्था सख्त कर दी है। आयोजन स्थल के आसपास भारी सुरक्षा बल तैनात है, ताकि किसी अप्रिय घटना को टाला जा सके।
किसानों की मांगें और आंदोलन का कारण
किसान लंबे समय से आबादी निस्तारण, लीजबैक प्रक्रिया, 10 प्रतिशत विकसित भूखंड और 64.7 प्रतिशत मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं। हाल ही में किसानों ने दिल्ली कूच का ऐलान किया था, लेकिन उन्हें नोएडा स्थित दलित प्रेरणा स्थल पर रोक दिया गया था। इसके विरोध में किसान अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए।
पुलिस कार्रवाई और किसानों का विरोध
मंगलवार को पुलिस ने 150 किसानों को हिरासत में लिया, जिससे किसानों में रोष फैल गया। प्रदर्शनकारियों ने जेल में बंद किसानों और नेताओं की तुरंत रिहाई की मांग की है।
छह दिसंबर को बड़ी चुनौती का संकेत
संयुक्त किसान मोर्चा ने छह दिसंबर को दिल्ली कूच की घोषणा की है। ग्रेटर नोएडा और आसपास के किसानों के भी इसमें शामिल होने की संभावना है। ऐसे में पुलिस के सामने इस आंदोलन को रोकना बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।
किसान एकजुटता का संदेश
BKU के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखवीर खलीफा ने कहा कि किसानों की समस्याओं को लेकर हर संभव सहयोग किया जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसान एकजुट हैं, और किसी भी जरूरत पर पूरा समर्थन दिया जाएगा।
किसानों का यह आंदोलन सरकार और प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। उनकी बढ़ती मांगों और प्रदर्शन के दायरे ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।