कांकेर न्यूज: केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मार्च 2026 तक नक्सलवाद को समाप्त करने के लक्ष्य की दिशा में सुरक्षाबलों की बढ़ती सक्रियता ने नक्सलियों को एक बार फिर घेर लिया है। कांकेर जिले के विभिन्न इलाकों में नक्सलियों ने अपनी गतिविधियों को तेज कर दिया है, और हाल ही में उन्होंने इस संदर्भ में बैनर और पर्चे लगाए हैं।
सुरक्षाबलों के खिलाफ नक्सलियों की अपील
कांकेर जिले के अंतागढ़ थाना क्षेत्र में नक्सलियों ने सड़क किनारे बड़े-बड़े बैनर और पर्चे लगाए, जिसमें उन्होंने बीएसएफ (बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स) और आईटीबीपी (इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस) के जवानों से बस्तर क्षेत्र में चल रही सैन्य कार्रवाइयों का हिस्सा न बनने की अपील की। इन बैनरों में बस्तर में हिंसा में भाग न लेने का आह्वान किया गया। खासकर, अंतागढ़-कुहचे मार्ग और मद्रासीपारा में नक्सलियों द्वारा इन बैनरों को प्रदर्शित किया गया।
आरएसएस पर विवाद और पंचायत चुनावों का बहिष्कार
नक्सलियों ने इन बैनरों में आरएसएस के प्रतीक चिन्हों को लेकर भी विवाद उठाया और गांवों व कस्बों से आरएसएस समर्थकों को खदेड़ने की धमकी दी। इसके अलावा, नक्सलियों ने अबूझमाड़ क्षेत्र में सेना के प्रशिक्षण केंद्र के खिलाफ भी पर्चे फेंके और आगामी पंचायत चुनावों का बहिष्कार करने का आह्वान किया।
माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के खिलाफ विरोध
पखांजूर थाना क्षेत्र के ऐसेबेड़ा-भिंगीडार मार्ग पर नक्सलियों ने माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के खिलाफ भी बैनर और पर्चे लगाए हैं। इन पर्चों में आरोप लगाया गया है कि ये कंपनियां किसानों, मजदूरों, और महिलाओं को लूट रही हैं। नक्सलियों ने स्थानीय लोगों से इन कंपनियों का विरोध करने और उनके एजेंटों को गांव-गांव से भगाने की अपील की। यह पहली बार है जब नक्सलियों ने माइक्रो फाइनेंस कंपनियों को अपने विरोध का निशाना बनाया है।
नक्सलियों की बढ़ती सक्रियता और सुरक्षाबलों की निगरानी
नक्सलियों की यह नई रणनीति उनके दबाव को महसूस करने और सुरक्षाबलों की बढ़ती सक्रियता के प्रति उनकी प्रतिक्रिया प्रतीत होती है। सुरक्षाबल इन घटनाओं पर कड़ी निगरानी रखे हुए हैं ताकि नक्सलियों की गतिविधियों पर नियंत्रण पाया जा सके और स्थानीय नागरिकों को उनके नकारात्मक प्रभावों से बचाया जा सके।