रायपुर: तारण तरण और गुरु घासीदास जयंती पर मांस-मटन विक्रय पूरी तरह प्रतिबंधित
रायपुर। छत्तीसगढ़ शासन ने 7 दिसंबर 2024 को संत तारण तरण जयंती और 18 दिसंबर 2024 को गुरु घासीदास जयंती के अवसर पर रायपुर नगर निगम क्षेत्र में मांस और मटन की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया है। इस निर्णय का उद्देश्य इन पावन अवसरों पर धार्मिक भावनाओं का सम्मान और सामाजिक सौहार्द बनाए रखना है।
नगर निगम ने जारी किया आदेश
छत्तीसगढ़ शासन के नगरीय प्रशासन और विकास विभाग के निर्देशों का पालन करते हुए रायपुर नगर निगम ने इन तिथियों पर सभी मांस-मटन विक्रय दुकानों और पशुवध गृहों को बंद रखने का आदेश दिया है। यह प्रतिबंध रायपुर नगर निगम के पूरे क्षेत्र में लागू होगा। निगम के स्वास्थ्य विभाग ने यह सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत योजना बनाई है कि आदेश का सख्ती से पालन हो।
आदेश का उल्लंघन करने पर होगी कड़ी कार्यवाही
रायपुर नगर निगम ने चेतावनी दी है कि आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यदि किसी दुकान में मांस या मटन की बिक्री होती पाई गई, तो विक्रय सामग्री को तुरंत जब्त कर लिया जाएगा। साथ ही संबंधित व्यक्ति के खिलाफ विधिसंगत कार्यवाही भी की जाएगी। यह कदम धार्मिक भावनाओं का उल्लंघन रोकने और आदेश की प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
निगरानी और पर्यवेक्षण की व्यवस्था
आदेश के क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए नगर निगम ने जोन-स्तरीय अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी है। जोन स्वास्थ्य अधिकारी और स्वच्छता निरीक्षक अपने-अपने क्षेत्रों में मांस और मटन की दुकानों पर सतत निगरानी रखेंगे। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी परिस्थिति में आदेश का उल्लंघन न हो।
धार्मिक महत्व के कारण लिया गया निर्णय
संत तारण तरण जयंती और गुरु घासीदास जयंती छत्तीसगढ़ में विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखते हैं। इन दिनों को शांति और अहिंसा का प्रतीक मानते हुए मांस और मटन की बिक्री पर रोक लगाई गई है। यह निर्णय धार्मिक समुदायों की भावनाओं का सम्मान करते हुए लिया गया है।
निष्कर्ष
नगर निगम का यह निर्णय रायपुर में धार्मिक और सांस्कृतिक समरसता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है। संबंधित अधिकारियों की सतर्कता और नागरिकों के सहयोग से आदेश का पालन सुनिश्चित किया जाएगा। ऐसे आदेशों का उद्देश्य समाज में शांति और सौहार्द को बढ़ावा देना है, जिससे सभी समुदाय मिल-जुलकर इन जयंती पर्वों को शांतिपूर्ण तरीके से मना सकें।