RSS Chief Mohan Bhagwat: भागवत ने उत्तर प्रदेश के संभल स्थित शाही जामा मस्जिद और राजस्थान के अजमेर शरीफ जैसे स्थलों को लेकर बढ़ रहे विवादों का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसे मुद्दे भारत की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचा सकते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि इतिहास की गलतियों से सबक लेना और नफरत व दुश्मनी के आधार पर नए विवाद खड़े करने से बचना आवश्यक है।
RSS Chief Mohan Bhagwat:उन्होंने राम मंदिर मामले का उदाहरण देते हुए कहा कि यह हिंदू आस्था से जुड़ा एक दीर्घकालिक विषय था, जबकि वर्तमान में उठाए जा रहे अधिकांश धार्मिक विवाद केवल वैमनस्यता फैलाने के उद्देश्य से प्रेरित हैं। ऐसे विवाद, न केवल धार्मिक समुदायों के बीच दरार पैदा करते हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को भी धूमिल करते हैं।
RSS Chief Mohan Bhagwat: भागवत ने भारत की बहुलतावादी संस्कृति को देश की ताकत बताया। उन्होंने कहा कि भारत का गौरवशाली अतीत हमेशा से समावेशिता, सहिष्णुता और विभिन्न विचारधाराओं के सम्मान का समर्थक रहा है। “हम सब एक हैं” का विचार तभी साकार होगा, जब भारत की पहचान बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक जैसे द्वैत से ऊपर उठेगी।
उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को अपने धर्म और विश्वास का पालन करने की आजादी होनी चाहिए, और भारत का संविधान भी समानता और धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है। यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि इन मूल्यों का पालन करें।
RSS Chief Mohan Bhagwat: देश में बढ़ते विभाजनकारी माहौल को देखते हुए भागवत ने हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि दोनों समुदायों को मतभेदों को दरकिनार कर समानताओं को प्राथमिकता देनी चाहिए।
भागवत ने सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव को रेखांकित करते हुए कहा कि इस माध्यम पर फैलने वाले विभाजनकारी विचारों से सतर्क रहना आवश्यक है। संयम, संवाद, और सह-अस्तित्व की भावना बनाए रखना सामूहिक प्रयासों का मूल होना चाहिए।
RSS Chief Mohan Bhagwat: भागवत ने धार्मिक नेताओं और शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि धार्मिक नेता संवाद और मेल-मिलाप को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। वहीं, शैक्षणिक संस्थानों को सहिष्णुता, करुणा और आपसी सम्मान जैसे मूल्यों को विद्यार्थियों में विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
RSS Chief Mohan Bhagwat: भागवत ने कहा कि भारत की विविधता संघर्ष का कारण नहीं, बल्कि उसकी शक्ति है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि भारत अपने आंतरिक मतभेदों को सुलझा लेता है और एकता को मजबूत करता है, तो वह वैश्विक नेतृत्व की भूमिका निभा सकता है।