अंबिकापुर: अंबिकापुर स्थित हरिमंगलम में आयोजित एक दर्शन, दीक्षा एवं संगोष्ठी कार्यक्रम में पहुंचे शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने धर्मांतरण के मुद्दे पर विचार करते हुए कहा कि यदि हिंदू केवल अहिंसा के पक्षधर रहेंगे, तो वे अपने अस्तित्व की रक्षा कैसे कर पाएंगे? उन्होंने कहा कि आवश्यकतानुसार शस्त्र का प्रयोग करना भी जरूरी है।
स्वामी निश्चलानंद ने कहा कि सनातन धर्म में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, और शूद्र सभी का महत्व है। उन्होंने शिक्षा, रक्षा, और सेवा के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। उनका मानना है कि अस्तित्व की रक्षा के लिए शस्त्र बल का प्रयोग आवश्यक हो सकता है।
उन्होंने कुछ विशेष धर्मों का उल्लेख करते हुए कहा कि सेवा के नाम पर शोषण किया जा रहा है, और सिद्धांतों तथा आध्यात्म की रक्षा करने से ही भारत संपन्न होगा। उन्होंने यह भी कहा कि विक्रमादित्य के समय से अब तक, सनातन परंपरा को दबाने के प्रयास किए गए हैं।
सनातन बोर्ड की आवश्यकता पर चर्चा करते हुए स्वामी निश्चलानंद ने कहा कि इस समय चार शंकराचार्य हैं, लेकिन एक सुसंगठित बोर्ड की आवश्यकता पहले से महसूस की जा रही है। उन्होंने शासन तंत्र से आग्रह किया कि इसे समझा जाए। उन्होंने कहा कि सुसंस्कृति, सुशिक्षित, सुरक्षित, संपन्न, सेवा प्रबुद्ध, स्वस्थ्य और अभिकर्तव्य समाज की संरचना ही सही राजनीति की परिभाषा है।